Wednesday, April 20, 2011

बारिश की बूंदों ने ....

बारिश की बूंदों नें क्या कुछ कर डाला...

कहीं कहानी लिख डाली,

कहीं मोहब्बत का समा बना दिया,

कहीं कविता की कशिश खिलाई,

कहीं निगाहों से बातें कह डाली, ...

कहीं कमसिन मनन ने अन्ग्रयीय ले ली,

कहीं चाय-पकोड़े की अआस बुझाई,

कहीं हर अधूरे प्यास की याद दिलाई,

इन् बूंदों ने ना जाने क्या कुछ कर डाला!

I think, I feel, I want, I believe

  I think, I feel, I want, I believe                               Sipping 'Unknown Pleasure' and often wondering, what do I really ...