बारिश की बूंदों नें क्या कुछ कर डाला...
कहीं कहानी लिख डाली,
कहीं मोहब्बत का समा बना दिया,
कहीं कविता की कशिश खिलाई,
कहीं निगाहों से बातें कह डाली, ...
कहीं कमसिन मनन ने अन्ग्रयीय ले ली,
कहीं चाय-पकोड़े की अआस बुझाई,
कहीं हर अधूरे प्यास की याद दिलाई,
इन् बूंदों ने ना जाने क्या कुछ कर डाला!