Monday, November 12, 2007

....हैं।

इस सुबह में कुछ तो अनोखी बात हैं।

हवा के एहसास में तुम्हारे छूने कि आस हैं।
ओस कि बूंदों में तुम्हारी झलक हैं।
सूरज के किरणों में तुम्हारे प्यार का अल्हर्पण हैं...

कुछ तो खास हैं इस सुबह में!

No comments:

I think, I feel, I want, I believe

  I think, I feel, I want, I believe                               Sipping 'Unknown Pleasure' and often wondering, what do I really ...