पथ हारा
रेत हांथों में सिमत्त्थी गई
टिमटिमाती तारे भी ओझल हो गए
सपने खोये
ख्वाब बेरंग बन्न गए
कलाकार की छवि अधूरी रह गई
कविता बेसुर बन्न गए
शब्दों में खिलखिलाती हँसी खो गई
ज़िन्दगी का साज़ गुल हो गया
सोचा समय का बदलाव हें
ज़िन्दगी की यह ठहराव हें
खुदी को ढूँढ़ते अपने आप को खो दिया।
रेत हांथों में सिमत्त्थी गई
टिमटिमाती तारे भी ओझल हो गए
सपने खोये
ख्वाब बेरंग बन्न गए
कलाकार की छवि अधूरी रह गई
कविता बेसुर बन्न गए
शब्दों में खिलखिलाती हँसी खो गई
ज़िन्दगी का साज़ गुल हो गया
सोचा समय का बदलाव हें
ज़िन्दगी की यह ठहराव हें
खुदी को ढूँढ़ते अपने आप को खो दिया।
1 comment:
Panne khoey thhe kabhi, saathh mein yaadein bhi.
Aaj kaagaz phir nazar aaye, lekin yaadein sirf yaadein rahi.
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