Monday, January 25, 2010

मोहब्बत





शाम का समा हैं,
मुस्कान से वफ़ा हैं,
इतराती इन् नज़रों में,
बस उनकी ही छवि हैं

बहकती निगाहों से पूछों,
दिल में संगीत हैं,
पैरों को रखना संभल ,
खोया यह रास्ता हैं

किसी मौके का इंतज़ार,
ना इस इंतज़ार की शिकायत,
गिले शिक्वेह हम क्या करे,
मोहब्बत का पैमाना हैं

साँसों की हलचल में,
अपनी ही दुनिया हैं,
ख्वाबों की मंजिल हैं,
सच्चाई आप हमारी हैं

हमने उनसे जब की मोहब्बत,
यह ना था हमे मालूम;
दिल के हम गुलाम बनेंगे,
हर शब्दों में उनको ढालेंगे

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