Monday, December 31, 2012

मेरी ज़िन्दगी, मुझे हैं जीना।

मैं औरत हूँ,
शक्ति की मूरत,
श्रधा की सूरत।

ना तोको मुझे तुम,
ना रोको मुझे तुम,
मैं ना अबला,
मैं ना दुर्बल,
मैं ना कमज़ोर,
मैं ना बिचारी।
मैं हूँ निर्भय,
मैं हूँ तेज़।

मेरी सीमा, मुझे हैं पता।
मेरी ज़िन्दगी, मुझे हैं जीना।
इन बेड़ियों में ना जकरो मुझे,
इन हैवानियत में ना बांधो मुझे,
आँखें तुम्हारी हैं अशलील ,
ना देखो मुझे।
नज़रें मेरी क्यों  झुखे,
गिरे हो तुम ज़मीन पे।
आक्रोश हैं मुझे,
हैं मुझे शिकायत ;
यह मेरी किस्मत नहीं,
नहीं यह मेरी जन्नत .

लाज हैं अस्त्र मेरा,
ना तुम्हारी सम्पत्ति।
आज़ादी हैं हक मेरा,
ना तुम्हारी सत्ता।


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