बदलता आसमान था...
खुली ख्वाबो की चादर,
पंछियों की पंक्ति में,
सूरज के किरणों ने रास्ता दिखाया,
बादलों ने राह बना दी,
हवा ने बिखेर दी सुगंध,
क्या समा था यह सुहाना...
बदलता आसमान था.
बदलती ज़िन्दगी थी...
चाहतों का भरमार था,
किस मोड़ पे रुक जाए,
कदमो को अपने आहात का ना एहसास था,
बस मोहब्बत का तजुर्बा था,
स्याही ने कागज़ पर बस आशियाना बनाया था,
क्या खिलखिलाती थी वोह रवानी...
बदलती ज़िन्दगी थी.
बदलती दुनिया थी...
हर किसी को अपनी ही खोज,
नज़र ना आता डूबता सूरज,
अनदेखा करते दुखो की साजिश,
इंसानियत को ढके बस मंजिल को बढ़ना,
और ऊँचा हैं जाना, और ऊँचा हैं जाना,
क्या दिखे ना अपनी मात दर्दनाक?
बदलती दुनिया थी.
बदलता आसमान था...
बदलती ज़िन्दगी थी...
बदलती दुनिया थी...
बदलाव में ठहराव की अपेक्षा,
बदलाव में कशमकश की सच्चाई,
बदलाव में गुज़रता पल,
बदलाव में ढलती साँसे,
बदलता सबकुछ था...
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Rima, you are deeply loved
Rima at Infinitea, Bengaluru Dearest Rima, I wish I wasn’t writing this letter to you. B...
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Tale of a tall order Was resisting this trail Toying with my mind Desires run a train Takes flight all of town Time it right Let the heart t...
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Rima at Infinitea, Bengaluru Dearest Rima, I wish I wasn’t writing this letter to you. B...
1 comment:
bahut khub Madhurima Ji
Parivartan sansar ka niyam hai aur evolution ka ek kaaran
shri ram
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